Wednesday, December 30, 2009

Azab Kaps ki Gazab Prem Kahani !!!!

मैं तब सातवी में था जब पहली बार मैंने प्यार किया था,
एक साल senior लड़की को अपना दिल गिया था !!

सब मरते थे उसकी बड़ी बहन पर,
मैं तो खुश था छोटी को ही देख कर,
पिताजी की transfer की वजह से उसी साल वो गाँव छूटा,
हाय भरे बचपन में ही पहली बार मेरा दिल टुटा,
पिछले एक साल में केवल आँखों से ही तो दीदार किया था,
मैं तब सातवी में था जब पहली बार मैंने प्यार किया था !!

अब नया गाँव, नया स्कूल,
नया प्यार और नयी भूल,
दसवी आते ही शुरू हो गयी आँख में चोली,
नज़रे करने लगी बाते न मैं बोला न वह बोली,
उन मदहोश आंखोने मिलके दो नैनो को चार किया था,
अब मैं दसवी में था जब दूसरी बार मैंने प्यार किया था !!

दसवी में पढाई का भी रहत था काफी pressure,
एक दुसरे को देखने में ही निकल जाते थे सारे lecture,
एक दिन .....चुप्पी खोली......वो बोली
ध्यान रहता है हमेशा तुमपर मगर मै कभी उस नज़र से न देखि,
रक्षाबंधन को absent थी इसलिए आज लाई हु special राखी,
हाय जालिम कितनी बुरी तरह तुने इस दिल पे वार किया था,
तब मैं दसवी में था जब दूसरी बार मैंने प्यार किया था !!

अब था बारावी का साल,
Science का देख syllabus थे सब बेहाल,
प्यार की दुनिया में था अब भी अकेला,
फिर अहसास हुआ, जिसके साथ था बचपन से खेला,
अब उससे मुझे प्यार हुआ था !!

फिर वही मुश्किल कैसे करू इजहार,
छोडो यार अभी करते ही नहीं है प्यार,
पर इस बार दोस्तों ने की ऐसी setting,
fix करा दी अकेले में meeting,
यकीं नहीं आता पर उसने भी मुझसे इकरार किया था,
शायद पहली बार किसी लड़की ने मुझसे प्यार किया था !!

दौर शुरू हुआ फिर कसमो का,
इरादों का और वादों का,
आँखें खुलने लगी और बंद जबान हो गए,
as usual हम दो जिस्म और एक जान हो गए,
कहते है प्यार आग का दरिया है पर शायद हमने उसको पार कर दिया था,
तब मैं बारावी में था जब तीसरी बार मैंने प्यार किया था !!

पांच साल हो गए थे एक दुझे के साथ को,
हाथ हमेशा तरस ते थे एक दुसरे के हाथ को,
मगर वक़्त को था कुछ और ही मंजूर,
सारे सपने टूट के हो गए चकना चूर,
पता नहीं ये मैं था या हमारा प्यार जो इस बार हार गया था,
वो डोली में बैठी किसी और की जिससे मैंने प्यार किया था !!

अब शायद मुझमे प्यार करने की ताक़त नहीं थी,
मगर पिछले कई सालो से कोई दिल के बहुत ज्यादा करीब थी,
वो हसती थी मैं हसता था, वो रोति थी मैं रोता था,
क्या नाम दू इस रिश्ते को साला confuse वा जाता था,
जिस नज़र से देखा तुमको पहले तो किसी को इस तरह नहीं देखा था,
कौन हो तुम क्या लगाती हो तुम मैं समझ नहीं पाता था,
फिर लगा यही तो है जिसको हमेशा अपनी पलकों पे बिठाना चाहता हूँ ,
एक दिन बोल दिया मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ,
मगर वो तो किसी और की हो चुकी थी,
अपना दिल already किसी को दे चुकी थी,

ये जानकर अफ़सोस हुआ पर बुरा ना लगा,
और दिल से आवाज़ आई,
अरे मैं तो हमेशा तुम्हे केवल खुश देखना चाहता था,
और फिर यूँ लगा,
शायद पहली बार किसी लड़की से प्यार हुआ था !!!!!!!!!!!!!!

1 comment:

  1. Read this over phone to Sauru, and he was amazed. I also like.

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