हर तरफ अंधेरा हो,
रात भी हो घातकी,
दिन भी लुटेरा हो,
यही तो है मौसम,
यही तो है मौसम,
आओ तुम और हम,
दर्द को बांसुरी बनाये
थोडा सा रुमानी हो जाये
मुश्कील है जिना
उम्मीद के बिना
थोडे से सपने सजाये
थोडा सा रुमानी हो जाये...
बादलो का नाम न हो,
अंबर के गाव मे
जलता हो जंगल खुद,
अपनी छाव मे
यही तो है मौसम
यही तो है मौसम
आओ तुम और हम
बारीश के नगमे गुनगुनाये,
थोडा सा रुमानी हो जाये
मुश्कील है जिना
उम्मीद के बिना
थोडे से सपने सजाये
थोडा सा रुमानी हो जाये...